मेरे इस युद्ध की सबसे अच्छी बात……
मेरे इस युद्ध की सबसे अच्छी बात ये है कि… जब जिस शहर की ओर रुख किया वहाँ किसी न किसी ने हमें अपने घर पर ऐसे रखा जैसे कोई सदियों पुराना नाता हो हमसे। परदेस में जब इतना अपनापन मिलता है तो परदेस…. परदेस सा नहीं लगता, वो अपना शहर सा ही लगता है। वो गालियां अपनी लगती है, वहाँ की आवो हवा अपनी सी लगती है। कहते हैं कि किसी के दिल में जगह बनाना मुश्किल होता है। किसी रहस्यमयी कारणों से मेरे लिए ये हमेशा आसान रहा। दिल के साथ साथ पाठकों ने हमें अपने आशियाने तक में पनाह दी। सफ़र मुश्किल उस दिन से ही था, जिस दिन पत्नी के साथ मैं सड़कों पर उतरा था। पर बढ़ते वक़्त के साथ साथ सफ़र बेहद मुश्किल होता चला गया, पर आपके प्रेम की गर्माहट ने मेरी हर मुश्किल को राख कर दिया। मैं वीर रस का लेखक हूँ, पर मेरी स्याही ने हमेशा प्रेम को सबसे बड़ी ताक़त का दर्जा दिया। मेरी पुस्तक सबसे पहला दोहा कहता है……
आए कई शूरवीर, आए कई प्रकांड।
प्रेम के सिवा कौन, जीत सका ब्रह्मांड।।

आपका प्रेम ही इस युद्ध में मेरा हथियार है। आपका प्रेम ही मेरे अंधेरों की मशाल है। मैंने जिस ओर कदम रखा, हर तरफ़ वक़्त ने प्यार की बरसात कर दी। अच्छी बुक बनाने के लिए हमने लेखनी में जान झोंक दी थी। बेहद कठिन तपस्या से मैंने इस ग्रंथ की रचना की है। साथ साथ इसके प्रोडक्शन में भी बहुत पैसे ख़र्च किए थे। आज भी हमलोग इतना इनकम जेनरेट नहीं कर पा रहे हैं कि हमलोग स्वतंत्र रूप से अपना युद्ध जारी रख सकें। पर आपकी मुहब्बत ने मेरे सफ़र को नया आयाम दिया है।
हिम्मत बांध भीषण युद्ध लड़ रहे हैं हम
हर दिन नए रंग रूप में, ढल रहे हैं हम,
न हथियार न टोली है
बस आपके प्रेम के साए में, चल रहे हैं हम।
जिन आँधीयों ने लीला है हजारों को
उन आँधियों में पल रहे हैं हम,
न हथियार न टोली है
बस आपके प्रेम के साए में, चल रहे हैं हम।
आपकी प्रेम की चादर तले, तूफानों से लड़ रहे हैं हम
दौड़ने की हैसियत नहीं, फिर भी आगे बढ़ रहे हैं हम,
न हथियार न टोली है
बस आपके प्रेम के साए में, चल रहे हैं हम।
किसी शहर में जाने से पहले हमलोग को भी डर लगता है कि कहाँ रहेंगे, कहाँ बुक प्रोमोशन करेंगे, कहाँ क्या खाएँगे। खाने पीने रहने भर हमलोग इनकम जेनरेट कर पाएंगे या नहीं। पर कहते हैं न कि समय सब देख रहा है। समय हर शहर में किसी न किसी रूप में मुझे अब तक पनाह देता आया है। करीब साल भर पहले जोश में आकर मैंने सफ़र शुरू तो कर दिया था, पर अगर रास्ते में आपलोग नहीं मिलते, आपलोगों का प्यार नहीं मिलता तो ये सफ़र कबका दम तोड़ चुका होता। पर हमारा सफ़र आज भी साँसे ले रहा है तो उसकी वजह आप हैं। आपकी मुहब्बत का सदैव ऋणी रहूँगा।
अरुण कुमार✍️
Buy this Book : Veera ki Sapath
Book : Veera Ki Shapat | Author : Arun Kumar
Read Last Article by ARUN KUMAR : Here
Thanks for sharing excellent informations. Your web site is very cool. I am impressed by the details that you have on this website. It reveals how nicely you understand this subject. Bookmarked this website page, will come back for extra articles. You, my pal, ROCK! I found simply the info I already searched all over the place and simply could not come across. What an ideal website.